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सर्वाइकल कैंसर

सर्वाइकल (ग्रीवा) कैंसर के 90% से अधिक मामलों के लिए दिर्घकालिक ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) संक्रमण को प्रेरक कारक के रूप में माना जाता है। नियमित जांच सर्वाइकल (ग्रीवा) कैंसर के खतरे को कम करती है।

अवलोकन

सर्वाइकल (ग्रीवा) कैंसर, सर्विक्स (गर्भाशय ग्रीवा) का अस्तर बनाने वाली कोशिकाओं (सेल्स) से उत्पन्न होता है, जो योनि और गर्भ के बीच का एक ओपनिंग होता है। सर्वाइकल (ग्रीवा) कैंसर दूसरा सबसे आम कैंसर है और भारतीय महिलाओं में पाए जाने वाले कुल कैंसर के मामलों में से 22.86% मामले सर्वाइकल (ग्रीवा) कैंसर के होते है। यह आमतौर पर 30 और 40 साल की उम्र की महिलाओं में देखा जाता हैं।

सर्वाइकल (ग्रीवा) कैंसर के 90% से अधिक मामलों के लिए दिर्घकालिक ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) संक्रमण को प्रेरक कारक के रूप में माना जाता है। 100 से अधिक प्रकार के ह्यूमन पैपिलोमा वायरस की पहचान की गई है, और इनमें से लगभग 15 अधिक जोखिम वाले प्रकार हैं जो सर्वाइकल (ग्रीवा), वल्वल (योनी द्वार), वजाइनल (योनि), एनल (गुदा) और पेनाइल (शिश्न) कैंसर जैसे विभिन्न प्रकार के एनोजेनिटल कैंसर का कारण बन सकते है।

सभी में से, एचपीवी -16 और एचपीवी -18 प्रकारों को 70% सर्वाइकल (ग्रीवा) कैंसर के मामलों और कैंसरपूर्व घावों का कारण माना जाता है।

प्रकार

जिस प्रकार की कोशिका से सर्वाइकल (ग्रीवा) कैंसर उत्पन्न होता है, उसके आधार पर उसको दो प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है:


लक्षण

सर्वाइकल (ग्रीवा) कैंसर धीमी गति से बढ़ने वाला कैंसर है, जिसके विकसित होने में 10 - 20 साल तक का समय लग सकता है। प्रारंभिक अवस्था में, इसके कोई लक्षण नहीं हो सकते हैं। जैसे-जैसे रोग बढ़ता है, वैसे-वैसे लक्षण स्पष्ट हो जाते हैं। सभी मरीज़ों में, योनि से रक्तस्त्राव यह पहला लक्षण होता है। सर्वाइकल (ग्रीवा) कैंसर के अन्य लक्षणों में शामिल हैं:

  • मासिक धर्म के बीच रक्तस्राव (सामान्य माहवारी के बीच रक्तस्राव)
  • यौन-संबंध के बाद रक्तस्राव (पोस्ट - कोइटल ब्लीडिंग)
  • योनि से दुर्गंधित स्राव आना
  • संभोग के दौरान पीड़ा या दर्द

कारण

ज्यादातर मामलों में, सर्वाइकल (ग्रीवा) कैंसर ह्यूमन पेपिलोमा वायरस या एचपीवी संक्रमण के कारण होता है, जो महिलाओं में प्रजनन मार्ग का एक आम संक्रमण है। एचपीवी संक्रमण काफी हद तक यौन संबंध के माध्यम से फैलता है। इनमें से अधिकांश संक्रमण और संक्रमण के कारण होने वाले प्रारंभिक घाव शरीर के प्राकृतिक रक्षा तंत्र के माध्यम से ठीक हो जाते हैं। हालांकि, कुछ मामलों में, एचपीवी संक्रमण दिर्घकालिक हो जाता है और कैंसरपूर्व घाव पैदा करता है, जो बाद में सर्वाइकल (ग्रीवा) कैंसर बन जाता है। निम्नलिखित अन्य जोखिम कारक हैं जो सर्वाइकल (ग्रीवा) कैंसर से जुड़े हुए हैं :

निदान

सर्वाइकल (ग्रीवा) कैंसर का पता लगाने और निदान करने के लिए विभिन्न तरीके हैं :

इलाज

सर्वाइकल (ग्रीवा) कैंसर प्रबंधन के लिए उपलब्ध विभिन्न उपचार विकल्पों में सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी (विकिरण चिकित्सा) और सिस्टमिक थेरेपी (प्रणालीगत चिकित्सा), जैसे कीमोथेरेपी, इम्यूनोथेरेपी और टार्गेटेड थेरेपी (लक्षित चिकित्सा) शामिल हैं। उपचार योजना रोग का चरण और प्रकृति और मरीज़ की कुल स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर बनाई जाती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

भारतीय महिलाओं में सर्वाइकल (ग्रीवा) कैंसर सबसे आम कैंसर में से एक है। यह काफी हद तक एचपीवी संक्रमण के अधिक प्रसार और स्क्रीनिंग (नियमित जांच) की कमी के कारण होता है।

सर्वाइकल (ग्रीवा) कैंसर सबसे आम कैंसर होने के बावजूद भी इसे आसानी से रोका जा सकता है। टीकाकरण और स्क्रीनिंग (नियमित जांच) जैसे निवारक उपाय सर्वाइकल (ग्रीवा) कैंसर के विकास के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं। एचपीवी संक्रमण से बचने के लिए टीका लगवाने से एचपीवी संक्रमण को रोका जा सकता है और इससे सर्वाइकल (ग्रीवा) कैंसर होने का खतरा भी कम हो जाता है। हालांकि टीकाकरण सर्वाइकल (ग्रीवा) कैंसर के जोखिम को उल्लेखनीय रूप से कम करता है, लेकिन यह 100% सुरक्षा प्रदान नहीं करता है, और इसलिए स्क्रीनिंग (नियमित जांच) करना आवश्यक है। स्क्रीनिंग (नियमित जांच) आपके सर्वाइकल (ग्रीवा) कैंसर के जोखिम को कम करने का एक और तरीका है। सर्वाइकल (ग्रीवा) कैंसर के लिए उपलब्ध स्क्रीनिंग (जांच) टेस्ट में पैप टेस्ट और कोलपोस्कोपी शामिल हैं। पैप टेस्ट एक सामान्य स्क्रीनिंग (जांच) विधि है जिसमें सर्विक्स (गर्भाशय ग्रीवा) की कोशिकाओं (सेल्स) को एक विशेष उपकरण जिसे आयरे का स्पैटुला कहा जाता उसका उपयोग करके इकठ्ठा किया जाता है और किसी भी असामान्यताओं का पता लगाने के लिए माइक्रोस्कोप के तहत इसकी जांच की जाती है। कोलपोस्कोपी यह एक अन्य परीक्षण है जिसका इस्तेमाल सर्वाइकल (ग्रीवा) कैंसर की जांच के लिए किया जाता है। प्रक्रिया के दौरान, एक विशेष उपकरण जिसे कोलपोस्कोप के रूप में जाना जाता है, उसका उपयोग सर्विक्स (गर्भाशय ग्रीवा) के अस्तर का एक प्रकाशित और आवर्धित दृश्य प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह प्रक्रिया डॉक्टरों को सर्विक्स (गर्भाशय ग्रीवा) को करीब से देखने और यह पता लगाने में मदद करती है कि कहीं कोई असामान्य घाव तो नहीं है। यदि कुछ असामान्यताएं पाई जाती हैं, तो डॉक्टर अतिरिक्त परीक्षण करने की सिफारिश कर सकते हैं; और यदि कोई असामान्यता नहीं पाई जाती है, तो आपको बताए गए अंतराल पर स्क्रीनिंग (जांच) जारी रखने के लिए कहा जाएगा।

हां, सर्वाइकल (ग्रीवा) कैंसर का इलाज संभव है। सर्वाइकल (ग्रीवा) कैंसर धीमी गति से बढ़ने वाले कैंसर में से एक है और प्रारंभिक चरणों में इसका पता लगाया जा सकता है। सर्वाइकल (ग्रीवा) कैंसर के लिए उपलब्ध कई उपचार विकल्पों में सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी (विकिरण चिकित्सा), कीमोथेरेपी, टार्गेटेड थेरेपी (लक्षित चिकित्सा) और इम्यूनोथेरेपी शामिल हैं।

हां, रिपोर्टों से पता चलता है कि लंबे समय तक मौखिक रुप से लिए जाने वाले गर्भ निरोधकों का उपयोग करने से सर्वाइकल (ग्रीवा) कैंसर के विकास का खतरा बढ़ जाता है। हालाँकि, यदि मौखिक रुप से लिए जाने वाले गर्भ निरोधकों का उपयोग कम किया जाए या बंद कर दिया जाए तो यह जोखिम कम हो सकता है ।

हां, सर्वाइकल (ग्रीवा) कैंसर के लिए ब्रैकीथेरेपी बेहद प्रभावी है। वास्तव में, कुछ मामलों में, शुरुआती चरण के सर्वाइकल (ग्रीवा) कैंसर का इलाज केवल ब्रेकीथेरेपी से भी किया जा सकता है।